गुरुवार, 26 मार्च 2009

Yoga; Anti constipation pills

A lot of constipation removing pills you may get in the market. Modern medicine has devised several ways to "easily" cleanse the colon. However, in many cases, these constipation remedies have lot of side effects and are habit forming and are not very effective in long term. In fact, funny as it may seem, they in fact add to the toxin level by inducing chemical reactions. Although some of herbal medicine also most addictive, it should be avoided in long term too.
Unfortunately, modern competitive thinking, stress, anxiety and diet place an extraordinary load on the colon which is also a major cause of constipation. It is not a disease; it is due to only by bad life style.
Infact in hath yoga & medi yoga has techniques which help in removing constipation at all levels including mental and spiritual. Techniques such as nauli and sankh prakchalan kriya help in removing constipation and activating small, large intestine and make better coordination between colon and brain. Without good association between brain and colon, constipation cannot be removed. The part of the brain which is closely associated with colon and small intestine have must be in active position. The only yoga can helps to coordinate this, not medicine.

बुधवार, 18 मार्च 2009






Conditioned Mind


Another disease or weakness of mind is to be conditioned. If you are aware from this conditioning then can be get solution easily. First thing to ask yourself that are you in the grip of conditioning. If everything is perfectly happy around you, your wife loves you, you love her, you have a nice house, nice children and plenty of money, and then you are not aware of your conditioning at all. But when there is a disturbance – when wife look someone else or you lose your money or are pain or any type of anxiety- then you know you are conditioned. And as most of us disturbed most of the time, these disturbances indicate that we are conditioned.

गुरुवार, 5 मार्च 2009

Marriage in टॉयलेट (मैरिज़ इन टॉयलेट)


लोग टॉयलेट में सिगरेट, पेपर पढ़ते हैं , गुन्गुनातें हैं पर मुझे उस समय चिंतन करना अच्छा लगता हैविचारोंके साथ खेलने में, उनको पकड़ने में , तथा uनको मारने में आनंद आता हैये सब करने में भूल ही जाता हूँ की मै यंहा आया किस लिए थाकभी कभी तो टॉयलेट में घंटों बिता देता हूँ और मुझे समय का पता ही नही चलता
पेशाब करने में सामान्य लोग लगभग एक से दो मिनट लगाते हैं लेकिन मैं तो लगभग पाँच से दस मिनट लगाता हूँमेरे मित्र तो कहतें हैं कि इसने तो रावन को भी मात दे दिया। वैसे रावन पेशाब करने में सबसे अधिक समय लगाता था
योग के अनुसार तो ऐसा करने वाले की किडनी बहुत मजबूत होती है या फ़िर बहुत कमजोर होती है। मेरी क्या है ये मुझे मालूम नही।
घर में पिता जी माँ से चिल्लाते हुए कहते थे - लगता है की पूर्व जन्म में, यह टॉयलेट में ही पैदा हुआ था क्या ? सूरज निकल आया है ... अरे दितोक्सिफिकेशन की हद होती .... यह कहते हुए ऑफिस की ओर निकल जाते थे

इसके बाद मेरी मां की बारी आती थी- अरे बर्थडे करके निकलोगे क्या ? चिंता कर तेरी शादी भी मै उसी में करवा के मानूंगी । वन्ही अपनी बीबी के साथ सब कुछ करना .....बडबडाते हुए टॉयलेट के दरवाजे की ओर दौड़ती थी
डर के मारा मै किसी तरह आधा काम बींच में
ही छोड़ कर आता था

और अब शादी के बाद बीबी मेरे चिंतन से परेशान है .....वो तो कहती है , क्या वन्ही पर शीर्शाशन लगा लिया क्या
मेरे यह कहने पर कि मै चिंतन कर रहा हूँ .....
"जितने भी पागल और सनकी हुए हैं वे टॉयलेट में ही चिंतन करतें हैं । "
सत्य तो यह है की मै हर एक पल का उपयोग करता हूँमेरा अनुभव है जब प्रयोग नही होगा तो कोई खोज नही होसकतीप्रयोग के लिए कोई स्थान और कोई समय होता है